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Wednesday, January 22, 2025
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पर्यटन उद्योग की नई संभावनाओं को समझने राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की टीम स्पेन रवाना…मंत्री ने कहा-झारखंड में जल्द शुरू होगा ट्राइबल और माइनिंग टूरिज्म

टीम 22 से 26 जनवरी तक मैड्रिड में होनेवाले इंटरनेशनल टूरिज्म ट्रेड फेयर (FITUR) में हिस्सा लेंगी। मंत्री 24-25 जनवरी तक वापस लैंटेंगे। 

रांची : झारखंड के पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन उद्योग की नई संभावनाओं को समझने के लिए राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार, पर्यटन सचिव मनोज कुमार, निदेशक अंजिल यादव और उपनिदेशक राजीव कुमार सिंह की टीम मंगलवार को स्पेन रवाना हो गई है। टीम 22 से 26 जनवरी तक मैड्रिड में होनेवाले इंटरनेशनल टूरिज्म ट्रेड फेयर (FITUR) में हिस्सा लेंगी। मंत्री 24-25 जनवरी तक वापस लैंटेंगे। बाकी अधिकारी 28 जनवरी को झारखंड लौटेंगे।

राज्य के नगर विकास, पर्यटन एवं उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया झारखंड में जल्द ही ‘ट्राइबल टूरिज्म’ की शुरुआत होने जा रही है। इसका पहला केंद्र तमाड़ के अड़की से उलिहातू तक विकसित किया जाएगा। यहां पर्यटक न केवल भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थल देख सकेंगे, बल्कि आदिवासी संस्कृति, रहन-सहन और खान-पान का अनुभव भी कर पाएंगे। मंत्री ने बताया कि झारखंड में ‘माइनिंग टूरिज्म’ भी शुरू किया जाएगा।

मंत्री ने कहा कि राज्य में सीसीएल और बीसीसीएल जैसी कंपनियों की कई कोयला खदानें हैं, जहां पर्यटक ‘ओपन कास्ट माइंस’ देख सकेंगे। इसके अलावा, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक स्थलों और अन्य दर्शनीय स्थलों को जोड़ते हुए एक पर्यटन सर्किट भी बनाया जा रहा है। हर 25 किलोमीटर की दूरी पर एक विश्राम केंद्र बनाया जाएगा, जहां यात्रियों को खान-पान और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। पर्यटन स्थलों का प्रबंधन ग्राम समितियों और वन समितियों को सौंपा जाएगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और वे पर्यटन से सीधे जुड़ सकेंगे।

पतरातू वैली में ग्लास ब्रिज बनाए जाएंगे

राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर नई सुविधाएं और संरचनाएं विकसित की जाएंगी। नेतरहाट के कोयल व्यू प्वाइंट पर ग्लास टावर बनेगा। दशम फॉल, जोन्हा फॉल, मंगोलिया प्वाइंट और पतरातू वैली में ग्लास ब्रिज बनाए जाएंगे। मसानजोर, गेतलसूद, पतरातु, चांडिल, तेनुघट और तिलैया डैम में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पलामू का ऐतिहासिक किला खास्ताहाल है, जिसे संरक्षित करने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को पत्र लिखा जाएगा।

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