रांची, 11 मार्च 2025 – झारखंड में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की बयार बह रही है, और रांची स्थित राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय, मुरुम (कांके) इस दिशा में नई मिसाल कायम कर रहा है। यहां शिक्षकों ने टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मैटेरियल्स) आधारित शिक्षा पद्धति को अपनाकर न केवल बच्चों की शिक्षा को रोचक बनाया है, बल्कि उनके समग्र विकास की दिशा में भी अहम कदम उठाए हैं।
टीएलएम: बच्चों के लिए शिक्षा का नया आयाम
विद्यालय के प्रधान शिक्षक ओम प्रकाश मिश्रा के नेतृत्व में प्रत्येक कक्षा, विषय और पाठ्यक्रम के अनुसार विशेष रूप से टीएलएम सामग्री विकसित की गई है। इसमें चार्ट्स, मॉडल्स, चित्र, फ्लैश कार्ड्स, ऑडियो-वीडियो उपकरण और डिजिटल संसाधनों का उपयोग किया जाता है। इस आधुनिक शिक्षण प्रणाली ने बच्चों की सीखने की रुचि को बढ़ावा दिया है और शिक्षा को एक संवादात्मक अनुभव में परिवर्तित किया है।
पारंपरिक शिक्षा से अलग, नया और प्रभावी तरीका
राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय, मुरुम ने यह सिद्ध किया है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि व्यावहारिक और अनुभवात्मक होनी चाहिए। गणित को समझाने के लिए चित्रों और मॉडलों का उपयोग किया जाता है, जबकि विज्ञान की अवधारणाओं को चार्ट्स और प्रयोगों के जरिए बच्चों के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इसी प्रकार, भाषा विषय को अधिक आकर्षक बनाने के लिए चित्रकथाओं, कार्ड्स और कहानी सुनाने की पद्धति अपनाई गई है।
बच्चों का समग्र विकास बना प्राथमिकता
विद्यालय केवल शैक्षणिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खेलों और रचनात्मक गतिविधियों को शिक्षा का हिस्सा बनाकर बच्चों को ज्ञान के साथ-साथ आत्मविश्वास भी प्रदान किया जा रहा है। इससे वे जीवन में नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो रहे हैं।
टीएलएम से बढ़ती दक्षता और रुचि
टीएलएम आधारित शिक्षा पद्धति के कई लाभ देखने को मिले हैं। इससे विद्यार्थियों की जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है। पारंपरिक पाठ्यक्रम की तुलना में, यह तरीका बच्चों को अधिक व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है, जिससे वे अवधारणाओं को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।
अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणा बना जीपीएस, मुरुम
विद्यालय की इस अनूठी पहल ने न केवल छात्रों के सीखने की प्रक्रिया को समृद्ध किया है, बल्कि अन्य सरकारी विद्यालयों के लिए भी एक आदर्श स्थापित किया है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद भी इस मॉडल को अन्य विद्यालयों में लागू करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है, ताकि राज्यभर के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और रोचक शिक्षा मिल सके।
टीएलएम आधारित शिक्षण प्रणाली बच्चों के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जीपीएस, मुरुम के प्रयासों ने यह सिद्ध किया है कि शिक्षा को यदि सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो हर बच्चा सहजता और आनंद के साथ ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
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