हजारीबाग: रामनवमी जुलूस को सफलतापूर्वक संपन्न कराने पर जिला प्रशासन जहां अपनी पीठ थपथपा रहा है, वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बाबर कुरैशी ने इस पूरे आयोजन को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रशासन केवल जुलूस पार कराने को अपनी सफलता मान रहा है, लेकिन जो घटनाएं इन दिनों के दौरान हुईं, उन पर चुप्पी साधे बैठा है। बाबर कुरैशी ने पूछा कि आखिर अब तक उन घटनाओं पर क्या कार्रवाई हुई है और किसे जवाबदेह ठहराया गया है?
मंगला जुलूस में बजा विवादित गीत, कार्रवाई पर सन्नाटा
बाबर कुरैशी ने सवाल उठाया कि मंगला जुलूस के दौरान सार्वजनिक रूप से विवादित गाना बजाया गया, जिससे सामाजिक सौहार्द्र को चोट पहुंची। उन्होंने जानना चाहा कि उस जुलूस के आयोजकों और अध्यक्षों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई? उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई पहली बार नहीं था, जब धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की गई हो, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान तक सामने नहीं आया है।
एफआईआर दर्ज, लेकिन अब तक कितने गिरफ्तार?
उन्होंने बताया कि मंगला जुलूस के संबंध में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन सवाल यह है कि अब तक कितने लोगों की गिरफ्तारी हुई है? “क्या यह सिर्फ खानापूर्ति थी या वास्तव में कानून का पालन कराने की मंशा थी?” – बाबर कुरैशी ने तीखा सवाल दागा।
डीजे पर प्रतिबंध के बावजूद बजता रहा शोर
बाबर कुरैशी ने कहा कि प्रशासन ने स्पष्ट रूप से सभी धार्मिक जुलूसों में डीजे बजाने पर रोक लगाई थी। लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही थी – लगभग सभी जुलूसों में डीजे बजाए गए। “ऐसे में अब तक कितने अखाड़ा धारियों या जुलूस आयोजकों पर एफआईआर दर्ज हुई?” – यह भी एक अहम सवाल है जिसका प्रशासन को जवाब देना चाहिए।
मस्जिद के सामने उकसावे की हरकतें, खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन
बाबर कुरैशी ने आरोप लगाया कि जुलूस के दौरान जमा मस्जिद के सामने जानबूझकर उकसावे वाले गाने बजाए गए, शंख बजाया गया और तलवारें लहराते हुए लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन था, लेकिन इन हरकतों में शामिल लोगों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई, यह भी स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ अखाड़ा धारियों द्वारा जुलूस में बंदूकें लहराई गईं और खुलेआम हथियार बांटे गए। “क्या इस पर कोई एफआईआर दर्ज हुई? क्या कोई गिरफ्तारी हुई?” – बाबर कुरैशी ने प्रशासन से पूछा।
जुलूस की समय-सीमा का उल्लंघन, आमजन हुए परेशान
बाबर कुरैशी ने यह भी कहा कि हजारीबाग के इतिहास में पहली बार रामनवमी जुलूस निर्धारित समय-सीमा पार कर दूसरे दिन तक चलता रहा, जिससे आमजन को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि सड़कें बंद रहीं, दफ्तरों और बाजारों में काम प्रभावित हुआ, लेकिन इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
क्या प्रशासन सभी समुदायों के प्रति समान व्यवहार कर पाया?
उन्होंने कहा कि प्रशासन की जिम्मेदारी सिर्फ जुलूस शांतिपूर्ण रूप से पार कराना भर नहीं होती, बल्कि सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान और सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। “क्या जिला प्रशासन इस जिम्मेदारी को निभाने में सफल रहा?” – यह सवाल उन्होंने खुले मंच से उठाया।
जिला प्रशासन को देना चाहिए जवाब
बाबर कुरैशी ने अंत में कहा कि प्रशासन को इन तमाम सवालों का जवाब सार्वजनिक रूप से देना चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी समुदाय को यह न लगे कि उनके साथ पक्षपात किया जा रहा है।
न्यूज़ – Vijay Chaudhary