गिरिडीह : एक्शन एड पटना की ओर से डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम पर एक कार्यशाला गिरिडीह में आयोजित की गई। इस मौके पर रामदेव विश्वबंधु ने कहा कि डायन, जोगिन, डाकिन जैसे अंधविश्वास की प्रथा झारखण्ड में वर्षों से प्रचलित है। उन्होंने कहा कि राबड़ी देवी की सरकार ने 1999 में बिहार में डायन प्रथा के खिलाफ कानून बनाया था. झारखण्ड गठन के बाद 2001 में यहां यही कानून लागू है। देश के आठ राज्यों में डायन प्रथा के खिलाफ कानून है। राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक कोई कानून नहीं है।
दलित आदिवासी महिलाएं ज्यादा पीड़ित होती हैं:वीणा वर्मा
सामाजिक कार्यकर्ता वीणा वर्मा ने बताया कि इस अंधविश्वास की प्रथा से दलित आदिवासी महिलाएं ज्यादा पीड़ित होती हैं। जान-माल की क्षति होती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से जुड़ी शालिनी प्रिया ने बताया कि पीड़ित महिलाएं सीधे विधिक सेवा प्राधिकरण से मदद ले सकती है। कोई खर्च नहीं लगेगा। सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल शर्मा ने बताया कि पिछले 23 साल के झारखण्ड में करीब डेढ़ हज़ार से ज़्यादा महिलाएं मौत की शिकार हुई हैं। पीड़ित महिलाएं थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराती है। जबकि हर हाल में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
कार्यशाला में ये लोग थे शामिल
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मोहनपुर में अपने परिवार में डायन के शक में मार पीट हो गई है। इस कार्यक्रम में पीएलवी सुनीता साहू, सविता कुमारी, शांति मुर्मू, हेमलता कुमारी, कंचन देवी, संजू देवी, बॉबी देवी, सीमा देवी, रवींद्र वर्मा, सहदेव राणा, जामिल किस्कू, वजीर दास, मनीष कुमार, देवघर से बसंती देवी, जाकिर अंसारी, रमेश पंडित आदि कई लोग मौजूद थे।