कुछ चुनिंदा अफसरों के गुड बुक में पिंटू आज भी है, पर ऐसे अफसरों को भी चिन्हित किया जा चुका है. चंद दिनों में पिंटू के खिदमतगारों को भी सीएमओ से बाहर किया जा सकता है
-
नारायण विश्वकर्मा
रांची : नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अभिषेक प्रसाद पिंटू को रिपीट नहीं किया और धर्मेंद्र गोस्वामी को अपना प्रेस सलाहकार नियुक्त किया. धर्मेंद्र गोस्वामी सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर के रहनेवाले हैं. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है. अधिसूचना में कहा गया है कि यह पद गैर संवर्गीय होगा और पद धारक का कार्यकाल मुख्यमंत्री की इच्छा या मुख्यमंत्री के कार्यकाल तक सीमित रहेगा. श्री गोस्वामी मिडिल क्लास परिवार से आते हैं। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने गायन के क्षेत्र में अपना करियर बनाया। उन्हें चंचल के नाम से भी जाना जाता है। जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उनके गाने चंपई सोरेन को बहुत पसंद आते थे. इस कारण उनकी चंपई से नजदीकियां बढ़ गईं. फिर चंपई की बदौलत ही उन्हें उषा मार्टिन कंपनी में नौकरी मिली. जिस पर अब टाटा स्टील का कब्जा हो गया है. धर्मेंद्र आज भी टाटा के कर्मचारी हैं. धर्मेंद्र सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर के श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के पास मांझी टोला का निवासी है. बता दें कि साल 2013 में धर्मेंद्र गोस्वामी ने आदित्यपुर नगर निगम वार्ड पार्षद का चुनाव भी लड़ चुका है. चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. श्री गोस्वामी की नियुक्ति को मीडिया क्षेत्र के व्यापक अनुभव और सराहनीय ट्रैक रिकॉर्ड के आधार को माना जा सकता है.
सीएम ने गोस्वामी की क्षमता पर भरोसा जताया
सामान्य तौर पर प्रेस सलाहकार पद के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई विशेष अहर्ता या मानक तय नहीं किया गया है. अमूमन स्नातक-स्नातकोत्तर या पत्रकारिता की डिग्री की पात्रता होनी चाहिए. हालांकि अभिषेक प्रसाद पिंटू से पूर्व लगभग सभी प्रेस सलाहकार पत्रकारिता क्षेत्र से ही आए थे. पहली बार हेमंत सोरेन सरकार में एक नन ग्रेजुएट और पत्रकारिता की दुनिया कोई वास्ता नहीं रखनेवाले शख्स को प्रेस सलाहकार बनाया गया. शुक्र है चंपई सोरेन ने प्रेस सलाहकार जैसे सम्मानित पद की लाज रख ली. उन्होंने इस पद की गरिमा का ध्यान रखा और पिंटू को अपने से दूर किया. सीएम चंपई सोरेन ने श्री गोस्वामी की क्षमताओं पर भरोसा जताया है. उनकी नियुक्ति को मीडिया जगत ने भी सराहा.
पंकज और पिंटू को खुद से दूर करने में आखिर हेमंत सोरेन ने क्यों परहेज किया? ये सबसे बड़ा सवाल है…!
याद करें कि जब अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू को हेमंत सोरेन ने प्रेस सलाहकार नियुक्त किया था तो, सबसे ज्यादा उनकी पढ़ाई-लिखाई पर ही सवाल उठाए गए थे. लेकिन हेमंत सोरेन के करीबी दोस्त के नाम पर मीडिया में विशेष तल्खी नहीं दिखी, पर पिंटू की योग्यता पर सवाल जरूर बना रहा. पद-पावर और हेमंत सोरेन से बेहद करीबी होने का पिंटू किस तरह से फायदा उठाया, ये अब सबके सामने है. पिंटू की हनक-सनक से संगठन और सरकार के कामकाज प्रभावित होते रहे. हेमंत सोरेन के पास पिंटू की शिकायतें पहुंचती रही, पर उन्होंने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया. 2021-22 में हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि के रूप पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद पिंटू का नाम भी तेजी से उछला. यहां तक कि झारखंड हाईकोर्ट को भी एक बार कहना पड़ा था कि पंकज मिश्र और सीएम का प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू का नाम बहुत सुना जा रहा है. अब पता नहीं कोर्ट की टिप्पणी को सीएमओ ने क्यों नजरअंदाज किया? पंकज मिश्रा के जेल जाने और पिंटू की ईडी से पूछताछ के बाद भी दोनों को अपने से दूर करने से आखिर हेमंत सोरेन ने क्यों परहेज किया? ये बड़ा सवाल है. अब एकांतवास में उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए. ये समय का तकाजा है.
नए सीएम पिंटू की परछाईं से भी परहेज करेंगे…! इसलिए सरकार में पिंटू की दखलअंदाजी का अंत माना जाना चाहिए
खबर है कि श्री गोस्वामी की नियुक्ति के बाद झामुमो के छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं-नेताओं ने राहत की सांस ली है. एक वरिष्ठ झामुमो कार्यकर्ता ने बताया कि नई सरकार में पिंटू से पिंड छूटा,यह सरकार की सेहत के लिए लाभकारी साबित होगा. पिंटू का जमाना याद करते हुए उन्होंने बताया कि अब सीएम से मिलने में हमलोगों को कोई परेशानी नहीं होगी. वह संगठन और सरकार के लिए राहू बना हुआ था. आज उन्हीं के कारण हेमंत सोरेन को यह दिन देखना पड़ा है. हेमंत सोरेन जैसे शालीन व्यक्ति को पिंटू ने ही बर्बाद किया. जब उनसे पूछा गया कि अब सरकार के अंदर पिंटू की कोई भूमिका हो सकती है क्या? इसपर उन्होंने बताया कि पिंंटू ईडी के रडार पर है. वह किसी भी दिन गिरफ्तार हो सकता है. नए सीएम को पिंटू की परछाईं से भी परहेज करना चाहिए. वैसे सीएम भी पिंटू की कारस्तानियों से वाकिफ हैं, इसलिए सरकार में पिंटू की दखलअंदाजी का अंत माना जाना चाहिए. हां, कुछ चुनिंदा अफसरों के गुड बुक में पिंटू आज भी है, लेकिन ऐसे अफसरों को भी चिन्हित किया जा चुका है. चंद दिनों में पिंटू के खिदमतगारों को सीएमओ से बाहर किया जा सकता है.