रांची : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने गुरुवार को मारू टावर स्थित मीडिया सेंटर में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार के अवर सचिव द्वारा मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को 15 नवंबर 2023 को पत्र लिखकर वीरेंद्र राम के ऊपर प्राथमिकी करने के संबंध में पत्राचार किया गया था। ईडी ने राज्य सरकार को इस विषय पर 8 मई 2023 को ही पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने को कहा था। प्रेस वार्ता में प्रतुल ने पत्र की प्रति दिखाते हुए जानना चाहा कि 6 महीने बाद भी मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बावजूद किन परिस्थितियों में मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने प्राथमिकी से संबंधित संचिका को दबा दिया? प्रतुल ने कहा कि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को स्पष्ट करना चाहिए कि जब पत्र में मुख्यमंत्री की सहमति का जिक्र है तो, क्या उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वीरेंद्र राम के दबाव में मौखिक आदेश देकर प्राथमिकी दर्ज करने से रुकवा दिया था।
‘सीेएम का आदेश भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सिर्फ आईवॉश’
प्रतुल ने कहा कि अवर सचिव द्वारा लिखे गए पत्र में इस बात का स्पष्ट वर्णन है कि इस मुद्दे पर विधि विभाग ने भी मुकदमा दर्ज करने से संबंधित अपनी सहमति दी थी। इस पूरे प्रकरण से झारखंड सरकार एक्सपोज्ड है और यह स्पष्ट होता है कि झारखंड में वर्तमान व्यवस्था में मुख्यमंत्री का आदेश भी सिर्फ भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए आईवॉश है। इससे स्पष्ट है कि पूरी सरकार भ्रष्टाचार में सम्मिलित है। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को अविलंब स्पष्ट करना चाहिए की इस मामले में प्राथमिक क्यों नहीं हुई और संबंधित अधिकारी को शो कॉज भी करना चाहिए। इसके अतिरिक्त ईडी द्वारा जितने लोगों पर मुकदमा करने से संबंधित पत्राचार किया है, सब पर राज्य कड़े कदम उठाए। ऐसे भी वे 3 महीने से ज्यादा से सत्ता में है। तो वीरेंद्र राम के ऊपर प्राथमिक दबाने का आरोप उन पर भी सीधे तौर पर लगेगा। प्रेस वार्ता में प्रदेश सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाईक और तारिक इमरान उपस्थित थे।