रांची : चंपाई सोरेन की विदाई का दर्द अब भाजपा को होने लगा है. चंपाई सोरेन सरकार और झामुमो की कार्यशैली पर कलतक भाजपा को भी ऐतराज था, पर अब उनके प्रति सहानुभूति जाग उठी है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर लिखा है कि हेमंत सोरेन ने जिस तरह से चंपाई सोरेन को अपमानित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल किया, उसकी पीड़ा अब चंपाई के बयानों में दिखाई देने लगी है। हेमंत सोरेन में असुरक्षा की भावना इस कदर घर कर गई है कि उन्हें अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों पर भरोसा नहीं रहा। हेमंत सोरेन और उनका परिवार झामुमो के आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सिर्फ दरी बिछाने और झंडा ढोने के योग्य समझता है। चंपाई सोरेन जी ने धीरे-धीरे ही सही लेकिन सकारात्मक राजनीति की ओर कदम बढ़ाया था। पार्टी कैडरों के बीच चंपाई जी की बढ़ती स्वीकार्यता देख हेमंत विचलित हो उठे। निशिकांत दुबे को पूर्व सीएम चंपाई सोरेन से हमदर्दी हो गई है.
झामुुुमो का असली चेहरा उजागर हुआ
पोस्ट में बाबूलाल ने चंपाई सोरेन द्वारा दिए बयान पर अखबार में छपी खबर की कटिंग भी शेयर की है। पोस्ट में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम हेमंत सोरेन को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। बाबूलाल ने कहा है कि हेमंत सोरेन खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे. इसलिए चंपाई सोरेन से इस्तीफा दिलवाया।
3 जुलाई को भी बाबूलाल ने एक पोस्ट कर दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधा था। बाबूलाल ने लिखा था कि झामुमो में शिबू सोरेन परिवार से बाहर का आदिवासी केवल कामचलाऊ है। शिबू सोरेन परिवार जब जैसा चाहे उसका उपयोग करेगा और फिर उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देगा। इंडिया गठबंधन ने कोल्हान के टाइगर को चूहा बना दिया। उन्होंने कहा कि 5 महीने पूर्व परिवारवाद से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री चुनने की बात करनेवाले झामुमो का असली चेहरा उजागर हो गया। ये झामुमो के अन्य आदिवासी नेताओं के लिए एक सबक है। भले ही 5 महीने तक चंपाई सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री थे, लेकिन पद पर रहने के बावजूद उन्हें बार-बार अपमानित किया गया। दरअसल, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार चंपाई सोरेन शुक्रवार को अपने गृह जिला सरायकेला में अपने पांच महीने के कार्यकाल को लेकर मिलनेवालों से अपना दर्द साझा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरू करायी, लेकिन अफसोस है कि अपने हाथों से नियुक्ति पत्र नहीं बांट सका। इसी मामले में भाजपा की ओर से हेमंत सोरेन पर हमला किया जा रहा है.
ऑपरेशन लोटस की आशंका के मद्देनजर झामुमो ने सही समय पर निर्णय लिया
चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद सबसे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्वसरमा ने सहानुभूति के दो शब्द बोलकर चंपाई की दुखती रग को छेड़ा था. इसके बाद ही एक रणनीति के तहत 7 जुलाई की जगह आनन-फानन में 5 जुलाई को ही हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. झामुमो में यह संदेश गया ये कहीं ऑपरेशन लोटस की चाल तो नहीं है. इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हेमंत सोरेन परिवार पर कटाक्ष किया था. उसी कड़ी में आज बाबूलाल मरांडी ने पोस्ट किया था. बेशक चंपाई सोरेन अच्छा काम कर रहे थे. लेकिन उनके प्रेस सलाहकार चंचल उर्फ धर्मेंद्र गोस्वामी की मनमानी से चंपाई सोरेन की फजीहत हो रही थी. उनकी शिकायत लगातार हाईकमान तक पहुंच रही थी. मात्र पांच महीने में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर चंपाई सोरेन को अंधेेरे में रखकर चंंचल अपनी मनमानी कर रहा था.उन्हें सरकार का प्रोटोकोल तक का पता नहीं था. कई अफसर उनकी कार्यशैैली से आजिज आ चुके थे. इस बात की खबर चंपाई सोरेेन पहुंचती जरूर थी, और वे हस्तक्षेेप भी करते थे. लेकिन उस मनबढ़ू को रोक पाने में वे निष्फल रहे.