शोध के विषय चयन को लेकर संवेदनशीलता बर्तें: डॉ सादिक रज्जाक
सामाजिक विज्ञान के शोध में विषय चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। गैर जरूरी विषयों में शोध एक चिंता का विषय है। स्थानीय विषयों पर भी शोध होनी चाहिए। उक्त बातें दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्रोफेसर मधुरेंद्र कुमार ने कहीं। वह विनोबा भावे विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में “शोध में विषय चयन के महत्व” पर व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि वर्तमान दौर विकास के नए प्रतिमानों को मूर्त रूप देने का समय है| इसमें शोध की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रोफेसर मधुरेंद्र ने बताया कि समाज विज्ञान के शोध भौतिक विज्ञान के शोध से काफी भिन्न है। वह इसलिए कि समाज विज्ञान के शोध के केंद्र में मानव एवं मानवता को रखा गया है। यही कारण है कि मानवीय मूल्यों को शोध से अलग नहीं किया जा सकता है।
अपने व्याख्यान में प्रोफेसर मधुरेंद्र ने शोध-पद्धति के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि सही विधि को अपनाने पर ही हम किसी शोध समस्या के समाधान तक पहुंच सकते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में इस संबंध में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। अब वहां पर सामूहिक एवं सार्वजनिक विमर्श के माध्यम से शोध के विषय एवं शोध प्रश्नों का निर्धारण किया जा रहा है।
विनोबा भाव विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान के संकायअध्यक्ष डॉ सादिक रज्जाक ने अपने संबोधन में बताया की शोध में विषय चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है पूर्ण। उन्होंने कहा कि आधुनिकरण और भूमंडलीकरण के दौर में शोध के प्रवृत्तियों को बदलने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने किया। इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ बालेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ रीता कुमारी, डॉ अजय बहादुर सिंह, सिंदरी कॉलेज, सिंदरी के डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह के अलावे विभाग के शोधार्थी एवं द्वितीय समसत्र के विद्यार्थी अच्छी संख्या में उपस्थित हुए।
NEWS – विजय चौधरी