रांची : पूर्व मंत्री झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि हेमंत सरकार द्वारा घोषित नयी नियोजन, सरकार का बैकफुट पर जाना नहीं है बल्कि यह तर्क की कसौटी पर प्रदेश की गठबंधन सरकार की संवेदनशीलता का परिणाम है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को केवल सरकार की आलोचना की बजाय सकारात्मक परिप्रेक्ष्य में झारखण्ड के आम लोगों के हित में और व्यापक दृष्टिकोण से काम रखना चाहिये.
स्थानीयता नीति अपनी जगह पर पूरी तरह तार्किक है
विधानसभा के वर्तमान बजट सत्र के दौरान गतिरोध कायम करने, बैठक को स्थगित करने और बेल में जाकर लगातार हंगामा करने की विपक्ष की कार्रवाई की तीखी आलोचना करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि राजनीति हर हाल में हो लेकिन यह आम लोगों की सुरक्षा, उनके विकास और कुल मिलाकर उनके हित की कीमत पर कभी नहीं होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा घोषित स्थानीयता नीति अपनी जगह पर पूरी तरह तार्किक है और जब प्रत्येक राज्य का स्थानीयता के संदर्भ में अपना कानून है तो फिर झारखण्ड को ही इससे परहेज क्यों करना चाहिये? उन्होंने कहा कि झारखण्ड की जमीनी हकीकत को देखकर कोई भी व्यक्ति खतियान आधारित स्थानीयता नीति की गंभीरता और सार्थकता को आसानी से समझ सकता है.
नयी नियोजन नीति की घोषणा सही
श्री तिर्की ने कहा कि राज्य के हित में जब भी कोई सशक्त और सकारात्मक कदम उठाया जाता है तो अनेक लोग न्यायालय का सहारा लेकर उसमें बाधा खड़ी करने का प्रयास करते हैं. ऐसे ही कदम के तहत जब नियोजन नीति के संदर्भ में न्यायालय द्वारा रोक लगायी गयी तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने न्यायिक निर्णय का सम्मान करते हुए और इस मामले में व्यक्तिगत रूचि लेते हुए राज्य के आम लोगों, युवाओं एवं छात्र-छात्राओं से उनकी राय लेकर न केवल क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत को शामिल किया बल्कि, राज्य से 10वीं एवं 12वीं पास करने की बाध्यता को भी समाप्त करने के बाद नयी नियोजन नीति की घोषणा की है.
