गोवर्धन पूजा के अवसर पर गुमला जिले के रायडीह थाना क्षेत्र के कपूलूंगा में इस वर्ष भी डाईर मेला सह रंगारंग नागपुरी कार्यक्रम का आयोजन संपन्न हुआ। हर साल की तरह इस वर्ष भी मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ स्थानीय नागपुरी कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। आयोजन में मेला समिति के अध्यक्ष, सचिव और सभी सदस्यों का सक्रिय योगदान रहा, जिन्होंने इसे सफल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए।
गोवर्धन पूजा पर सांस्कृतिक आयोजन की परंपरा
गोवर्धन पूजा के अवसर पर इस मेले का आयोजन गुमला के कपूलूंगा में वर्षों से किया जा रहा है। डाईर मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं को भी जीवंत रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। स्थानीय समुदाय इस आयोजन का बेसब्री से इंतजार करता है, क्योंकि यह पर्व उनके सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस वर्ष के आयोजन में स्थानीय नागपुरी गायक करमपाल गोप, पवन गोप, दामिनी कुमारी, राजमुनि कुमारी और चैनपुर के न्यू झंकार ग्रुप ने अपनी प्रस्तुतियों से उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नागपुरी कलाकारों की मनोरंजक प्रस्तुतियां
नागपुरी गीत-संगीत का इस क्षेत्र में विशेष स्थान है, और इस वर्ष के डाईर मेला में नागपुरी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से एक अद्भुत सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण किया। करमपाल गोप, पवन गोप और दामिनी कुमारी जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपनी गायकी और प्रस्तुति से श्रोताओं को बांधे रखा।
विशेषकर न्यू झंकार ग्रुप की पेशकश ने लोगों का दिल जीत लिया। गीतों और नृत्यों ने मेले के माहौल को जीवंत कर दिया और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर आयु वर्ग के लोगों ने इसका आनंद लिया। नागपुरी संस्कृति की झलक से भरपूर इस आयोजन ने युवा पीढ़ी में अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव जाग्रत किया।
मेला समिति का सक्रिय योगदान
डाईर मेला के सफल आयोजन में मेला समिति के अध्यक्ष शंकर बड़ाइक, सचिव श्यामसुंदर गोप और मंच संचालक कृष्णा सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनके साथ सुखराम गोप, जालसू लोहरा, सीताराम बड़ाइक, शंभू नाथ गोप, देवनारायण गोप, मोहन गोप और सोहन गोप जैसे सक्रिय सदस्यों ने मेला के संचालन में योगदान दिया। समिति ने न केवल आयोजन की व्यवस्था की, बल्कि इस बात का भी ध्यान रखा कि सभी गतिविधियां सुचारू रूप से संपन्न हो सकें।
मेला समिति के अध्यक्ष शंकर बड़ाइक ने कहा, “इस मेले का आयोजन करना हमारे लिए गर्व का विषय है। यह हमारे क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, और हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां भी इसे अपनाएं और इसमें शामिल हों।”
डाईर मेला: ग्रामीण क्षेत्रों की एकता का प्रतीक
डाईर मेला सह रंगारंग नागपुरी कार्यक्रम का आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में एकता और सामूहिकता का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल लोगों के लिए मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय को एकजुट करने में भी सहायक है। मेले में क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ आसपास के गाँवों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
इसके अलावा, यह मेला स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मंच प्रदान करता है, जो नागपुरी कला और संस्कृति को आगे बढ़ाने में सहायक है।
सांस्कृतिक आयोजनों का बढ़ता प्रभाव
इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों का ग्रामीण क्षेत्रों में खासा महत्व है, क्योंकि यह लोक संस्कृति और स्थानीय कलाओं को संजोकर रखने का माध्यम बनता है। गुमला जैसे स्थानों पर डाईर मेला और नागपुरी कार्यक्रम न केवल मनोरंजन प्रदान करते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों में गर्व और आत्म-स्वाभिमान की भावना भी बढ़ाते हैं।
आयोजन के दौरान स्थानीय नागरिकों ने भी मेले की व्यवस्था की सराहना की और उम्मीद जताई कि इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भविष्य में भी होता रहेगा।
सांस्कृतिक धरोहर को संजोने की पहल
डाईर मेला सह रंगारंग नागपुरी कार्यक्रम ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि हमारी संस्कृति और परंपराएं हमारे जीवन का अनमोल हिस्सा हैं। गुमला के इस आयोजन ने लोगों को ना सिर्फ मनोरंजन का अवसर दिया, बल्कि एकता और सामूहिकता की भावना को भी बढ़ावा दिया।
ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रख सकते हैं और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचा सकते हैं। सभी से अपील है कि वे इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल हों और अपनी संस्कृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और निभाएं।